वो मेरा शर्माना,
तुम्हारा कुछ गुनगुनाना।
हमारा नज़रे मिलाना,
और फिर छट से नज़रे चुराना।

वो पल, कुछ प्यार भरे,
कुछ इकरार भरे।
कुछ ऐसे पल जिनमे नाज़कीयां तो थी,
पर दूरी का इल्म भी था।

तुमने मेरी हथेली को थाम लिया था,
और मेने भी महसूस किया था,
तुम्हारी उँगलियों की छुअन को।
जब तुमने मेरी कलाई को अपनी और खीचा।

तब लगा जैसे, जेसे ये फासले अब मिट ही जाएंगे।
पर कम्बख्त,
कम्बख्त वो हैंडब्रेक।

उस पल में दूरी तो इतनी थी न कि,
सी. पी. से सिविल लाइन्स तक,
ड्राइव करके भी वो पूरी न हो पायी।
लगा की जैसे दिल्ली की सड़को से भी ज़्यादा लम्बी हे वो दूरियां

बस फिर क्या था।
कुछ दबे हुए से अरमान,
कुछ खिले हुए से दिल।
कुछ उलझी हुई सी साँसे,
और सुलगते हुए हम दोनों।

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उस एक पल में कुर्बत का एहसास खास था,
तुम्हारे हाथों में मेरा हाथ था।
तुम्हारी हर छुअन जैसे इबादत,
और तुम्हारा हर शब्द जैसे बेशुमार चाहत।

उन दूरियों की नज़दीकियां,
नज़दीकियों की वो दूरियां।
हमारा साथ जैसे, कुदरत की एक खूबसूरत कहानी,
पर वो दूरी जैसे कुदरत कर रही हो कोई मनमानी।

जब तुम शरारत से मेरे करीब आये,
और तुमने मेरे कान में हलके से कुछ फुसफुसाया।
मेने महसूस किया था तुम्हारी साँसों को,
उस वक़्त उन होठो से मिलने को बेताब थे मेरे भी होठ।
लगा की प्यार अब परवान चढ़ ही जाएगा।
पर कम्भख्त,
कम्बख्त वो सीट बेल्ट।

उस पल में दूरी दूरी तो इतनी थी न कि,
उसे कम करने की हरबराहट में
तुमने सिग्नल भी स्किप कर दिया।
उस पल लगा कि दिल्ली की सड़को से भी ज़्यादा लम्बी हे वो दूरियां

बस फिर क्या था।
कुछ दबे हुए से अरमान,
कुछ खिले हुए से दिल।
कुछ उलझी हुई सी साँसे,
और सुलगते हुए हम दोनों।

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अच्छा सुनो न, सुनो
हा तुमसे बोल रही हूँ, सुनो
वो तुम्हारी कार की फ्रंट सीट पे न
में कुछ छोड़ आयी ही
में अपना दिल तेरी और मोड़ आयी हु

मुझे ये फ्रंट सीट का प्यार बहुत अधूरा सा लगा,
मुझे इस प्यार में और कुछ भी चाहिए।

मुझे मेरी हर कविता में तेरा एहसास चाहिए,
तेरे दिन का पहला ख्याल चाहिए।
तेरी शामो की मुलाकात चाहिए,
तेरी रातो का साथ चाहिए।

वो जिसका ज़िक्र न कर सके हम किसी से,
मुझे ऐसी भी मुलाक़ात चाहिए।
वो जिसका ज़िक्र न कर सके हम किसी से,
मुझे ऐसी भी मुलाक़ात चाहिए।

मुझे तू चाहिए,
मुझे तू चाहिए!

पर कया था न
उस दिन हमारे हिस्से बस वो दूरियां ही आयी

और रह गया क्या
कुछ दबे हुए से अरमान,
कुछ खिले हुए से दिल।
कुछ उलझी हुई सी साँसे,
और सुलगते हुए हम दोनों।
कम्बख्त,
वो कर की फ्रंट सीट वाला प्यार।

कम्बख्त ।

 

 

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